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UPSC सिविल सेवा में हिंदी माध्यम की समस्या

  1. हिंदी माध्यम से कम चयन को लेकर प्रतिदिन कई तर्क पढ़ने को मिलता है। परंतु मैं अधिकांश तर्कों से असहमत हूँ।
  2. मैं यह भी नही मानता कि mains बैच चलाने वाले हिंदी कोचिंग संस्थाएं एवं मेहनत करने वाले शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में असफल हो गए हैं और वे mains पास करने लायक तैयारी नही करा पा रहे हैं। सच्चाई यह है कि तैयारी तो उन्होंने पूरी करा दी पर अभ्यर्थी युद्ध लड़ने के लिए बॉर्डर पर जाएं तो।
  3. तर्क: (i) हिंदी माध्यम से mains लिखने वाले की सफलता दर समग्र की सफलता दर का हमेशा लगभग आधा रहा है (अनुमानित)। मतलब यदि mains देने वाले का लगभग 8.5% अंतिम रूप से चयनित होते है तो हिंदी माध्यम का चयन की दर 4.25% (अनुमानित) रहती आयी है। इस सफलता दर को 2013 का बदलाव बहुत प्रभावित नही किया है। मामूली प्रभाव को छोड़कर।
    (ii) 2011 के पहले हिंदी माध्यम के अभ्यर्थी Pre exam पास करने की कुल संख्या का 40 से 45 % हुआ करता था जो धीरे धीरे घटकर 2018 में 9% पर आ गया है। अब इनमें पहले तर्क से सफलता दर 4.25% मानने पर अंतिम चयन लगभग 30 के आसपास बनती है जो व्यावहारिक लगता है।
  4. यदि हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों की गिरती सफलता को लेकर कोचिंग और शिक्षक गंभीर है तो उनकी मूल समस्या को दूर करें।
  5. मैं मानता हूं कि जब pre पास करने वालों का प्रतिशत हिंदी के अबयर्थियों का पहले की तरह 40% के आसपास आ जाये तो अंतिम परिणाम भी दिखने लगेंगे।
  6. हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों को सलाह है कि यदि आप UPSC का सपना देख रहे है तो पहले वे pre पास करने की क्षमता बनाएं।
  7. आप मेरे तर्क को भी न माने बल्कि निम्न आंकड़ों से स्वयं निर्णय लें और रणनीति बनाएँ। दिग्भर्मित होने से बचें। –
    एस के सेठ
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Author: cponline

IAS

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